12 Nov 2019 · 2 min read
हर माता पिता बच्चे के भविष्य निर्माता होते है।वे अपने बच्चों के पालन पोषण में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते है।वे अपने बच्चों को हर प्रकार की सुविधा मुहैया कराते है।इसी कड़ी में पेरेंट्स अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देना चाहते है और इसके लिए वे इन्हें बहुत ही महँगे स्कूलों पढ़ाते है।वे चाहते है कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर डॉक्टर इंजीनियर बने और खूब पैसा कमाये।
पर इन सब के बीच वो बच्चों को संस्कार देना भूल जाते है ।वे बच्चों को नैतिक मूल्य प्रदान नहीं कर पाते।और वे बच्चे बड़े होकर पैसा कमाने की मशीन में तब्दील हो जाते है।जब वो अच्छा कमाने लगते है तो वे अपनी पसंद की लड़की से शादी करके घर बसा लेते है और जब उनके खुद के बच्चे हो जाते है तो वे अपनी गृहस्थी में मशगूल हो जाते है और अपने उन माता पिता को तो भूल ही जाते है जिनके संघर्षो के कारण वे आज इस मुकाम पर होते है।
इसके बाद वे माता पिता जीवन में अकेले रह जाते है।और अवसाद के शिकार हो जाते है।उनको समझ ही नहीं आता कि आखिर उनकी गलती क्या थी।उन्होंने अपने बच्चों के लिए क्या कुछ नहीं किया?परन्तु अब उनके पास कुछ भी तो नहीं है।
इस समस्या की जड़ में जाये तो तो समझ में आता है कि बच्चों की परवरिश में संस्कार का कितना महत्व है।अतः सभी पेरेंट्स से मेरा आग्रह है कि बच्चों की परवरिश संस्कारो के साथ करे।उनके अंदर परिवार और समाज के प्रति लगाव उत्पन्न करे ।और आप खुद भी अपने माता पिता की सेवा करके एक उदाहरण प्रस्तुत करे ताकि आपके बच्चे भविष्य में आपकी सेवा करे।